अंग्रेजी व भारतीय नव वर्ष की तुलनात्मक अध्ययन पर आलेख
लेखक- डा.ओमप्रकाश भार्गव ‘सरस’ (प्रांत अध्यक्ष)-अखिल भारतीय साहित्य परिषद, जयपुर
25 दिसंबर के बाद से ही विदेशी नव वर्ष के शुभकामना संदेश सोशल मीडिया पर अनवरत आरंभ हो चुके हैं। अधिकांश युवा पीढ़ी नव वर्ष के नाम पर उत्साहित है। उनके लिए अनेक लोगों को बधाई संदेश प्रेषण अनिवार्य कार्य सा हो गया है। इनमें से अनेक लोग ऐसे भी हो सकते हैं, जिन्हें भारतीय नव वर्ष की वैज्ञानिकता एवं प्रासंगिकता का ज्ञान नहीं हो। बिना किसी कठिन शब्दावली के सरल प्रश्नोत्तर विधि के माध्यम से विदेशी व भारतीय नववर्ष की तथ्यात्मक व तुलनात्मक जानकारी देने का प्रयास किया गया है। सभी पाठकों से आग्रह है कि संपूर्ण आलेख पढक़र निर्णय करें कि भारतीयों के लिए कौन सा नववर्ष वैज्ञानिक, प्राकृतिक व सांस्कृतिक रुप से उचित है और कौन सा नववर्ष हमारे राष्ट्र, समाज व परिवार की रीति-नीति के उपयुक्त है
प्रश्न-1 जनवरी को कौन सा नव वर्ष आता है?
उत्तर- विदेशी नव वर्ष।
प्रश्न-2 भारतीय नव वर्ष या हिंदू नव वर्ष कब आरंभ होता है?
उत्तर-चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से।
प्रश्न-3 भारतीय नव वर्ष का चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होने के कारण क्या हैं? इस दिन का विशेष महत्व क्या है?
उत्तर- इसके अनेक कारण है जो व्यावहारिक व तार्किक हैं।
(1)- सम्राट विक्रमादित्य ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को अपना राज्य स्थापित किया था। इन्हीं के नाम पर विक्रम संवत का प्रथम दिवस भारतीय नव संवत्सर का प्रथम दिन माना जाता है।
(2)- इसी दिन के सूर्योदय से ब्रम्हा जी ने सृष्टि की स्थापना की थी।
(3)- यह नवरात्रा स्थापना का प्रथम दिवस है, अर्थात प्रथम नवरात्र है।
(4)- चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में भगवान राम का जन्म हुआ था। वाल्मीकि के अनुसार जब राम का जन्म हुआ, उस समय पांच ग्रह अपनी श्रेष्ठ उच्च स्थिति में थे।
(5)- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ था।
(6)- चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में ही वरुण के अवतार संत झूलेलाल जी का प्राकट्य हुआ था।
(7)- स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में ही की थी।
(8)- सिखों के दूसरे गुरु श्री अंगद देव जी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में हुआ था।
(9)- संघ के संस्थापक डा.केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्मदिन इसी दिन हुआ था।
प्रश्न-4 भारतीय नव वर्ष के चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होने के प्राकृतिक व व्यावहारिक कारण क्या है?
उत्तर- चैत्र शुक्ल पक्ष में बसंत ऋतु का प्रारंभ हो जाता है। ऋतु परिवर्तन के कारण वातावरण में स्वाभाविक उल्लास, उमंग व पुष्पों की सुगंध रहती है। प्रकृति स्वयं नववर्ष का स्वागत करने को आतुर रहती है। प्रकृति में चारों ओर नवीनता दिखाई देती है तथा प्रकृति का कण-कण परिवर्तन का संकेत देता है। इस समय किसानों की फसलें पक कर तैयार हो जाती है। घर में नया अनाज आने की तैयारी होती है। घर में स्वाभाविक नवीनता व प्रसन्नता आने लगती है।
प्रश्न-5 भारतीय नव वर्ष की वैज्ञानिकता का आधार क्या है?
उत्तर- भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत कैलेंडर पर आधारित है। विक्रम संवत पूर्णतया चंद्र-सौर कैलेंडर पर आधारित है। इसका सीधा संबंध मानव शरीर के निर्माण से हैं। भारतीय पंचांग न केवल सांस्कृतिक रुप से बल्कि वैज्ञानिक रुप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आपको ग्रहों की स्थिति से जोड़ता है। विक्रम संवत विश्व की सबसे प्राचीन श्रेष्ठ गणना प्रणाली है। चैत्र शुक्ल पक्ष में नक्षत्र सर्वाधिक अनुकूल स्थिति में होते हैं, अर्थात किसी भी कार्य को आरंभ करने के लिए अनुकूल समय होता है। पृथ्वी के झुकाव के कारण हिंदू नव वर्ष से शुरू होने वाली 21 दिन की अवधि के दौरान उत्तरी गोलार्ध को सूर्य की अधिकांश ऊर्जा प्राप्त होती है। पहले अमावस्या के बाद बढ़ते चंद्रमा का पहला दिन एक नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।
प्रश्न-6 क्या अंग्रेजी नव वर्ष 1 जनवरी को कोई प्राकृतिक परिवर्तन या नवीनता दिखाई देती है?
उत्तर- नहीं, इस दिन वातावरण में कोई परिवर्तन दिखाई नहीं देता है। किसी भी प्रकार की नवीनता दृष्टिगोचर नहीं होती है। केवल अंग्रेजी माह दिसंबर से जनवरी में परिवर्तित होता है। भौगोलिक प्राकृतिक व सांस्कृतिक रूप से कुछ भी परिवर्तन नहीं होता है।
प्रश्न-7 हम गृह प्रवेश, नामकरण, विवाह व अन्य शुभ कार्य किस कैलेंडर के अनुसार करते हैं?
उत्तर- हम विक्रम संवत कैलेंडर के आधार पर सभी शुभ कार्य करते हैं। यह कैलेंडर चंद्र-सौर कैलेंडर पर आधारित है। इसी कैलेंडर के आधार पर हमारा नव वर्ष मनाया जाता है।
प्रश्न-8 जब हम शुभ कार्य विक्रम संवत कैलेंडर से करते हैं तो अंग्रेजी नव वर्ष हम क्यों मनाते हैं?
उत्तर- अंग्रेजी नव वर्ष मनाने की यह परंपरा अंग्रेजों के समय से चली आ रही है। यह अंग्रेजी मानसिकता, अंग्रेजी दासता व औपनिवेशिकता का प्रतीक है।
प्रश्न-9 अंग्रेजी नव वर्ष कैसे मनाया जाता है?
उत्तर- ज्यादातर स्थानों पर अंग्रेजी नववर्ष अर्ध रात्रि को मनाया जाता है। ठंड से सिकुड़ते हुए रात को ही नव वर्ष का स्वागत करने की रीति निभाते हैं। कुछ लोग गीत-संगीत व नृत्य द्वारा नव वर्ष का स्वागत करते हैं। नगरीय संस्कृति के कुछ लोग रात्रि को होटल व क्लब में जाकर नृत्य करते हैं। अनेक स्थानों पर नशीले पदार्थों का प्रयोग करते हुए नए वर्ष का स्वागत किया जाता है।
प्रश्न-10 भारतीय नव वर्ष कैसे मनाया जाता है?
उत्तर- हिंदू नव वर्ष का स्वागत अर्धरात्रि को नहीं, बल्कि सूर्योदय के समय किया जाता है। सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ-सफाई करने के बाद घर को तोरण, मांडना या रंगोली से सजाया जाता है। इस दिन नव संवत्सर का पूजन, नवरात्र घट स्थापना आदि मांगलिक कार्य किए जाते हैं। घर पर ध्वजारोहण किया जाता है। पूर्व संध्या पर घर के प्रवेश द्वार पर दीपक जलाए जाते हैं। लोग एक दूसरे के गले मिलकर नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। एक दूसरे के तिलक किया जाता है। कड़वे नीम, मिश्री व काली मिर्च का प्रसाद बांटा जाता है, जो स्वास्थ्यवर्धक होता है। घर में पारंपरिक व्यंजन श्रीखंड व मीठे चावल आदि बनाए जाते हैं। नगरों व गांव में चारों ओर धार्मिक वातावरण बन जाता है। ऐसा लगता है कि नव वर्ष के कारण सभी मनुष्यों में नव चेतना आ गई हो। प्रत्येक राज्य में इस पर्व को स्थानीय संस्कृति के अनुसार मनाया जाता है। महाराष्ट्र, गोवा व कोंकण क्षेत्र में इसे गुड़ी पड़वा, केरल में संवत्सर पठओ, आंध्र, तेलंगाना व कर्नाटक में उगादी, कश्मीर में नवरेह, पंजाब व हरियाणा में बैसाखी और सिंधी क्षेत्र में चेटीचंड के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न-11 स्वामी विवेकानंद ने नववर्ष मनाने के लिए क्या संदेश दिया है?
उत्तर- स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि यदि हमें गौरव से जीने की भावना जागृत करनी है। यदि अपने हृदय में देशभक्ति का बीज पल्लवित करना है तो हमें हिंदू राष्ट्रीय पंचांग की तिथियों का आश्रय लेना होगा। जो कोई भी अजनबियों की तारीखों पर भरोसा करता है, वह गुलाम बन जाता है और आत्म सम्मान खो देता है।

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