पाइलिंग मशीन से 20 फिट की दूसरी पर 170 फिट पैरलल गहरा गड्ढा खोदा
88 घंटे से भूखी-प्यासी बोरवेल में फंसी चेतना, लोग कर रहे दुआएं
मां ने भी तीन दिन खाना नहीं खाया, हालत बिगडऩे पर इलाज में जुटे चिकित्सक
कोटपूतली-बहरोड़/सच पत्रिका न्यूज
कोटपूतली में 23 दिसंबर को दोपहर लगभग 2 बजे बोरवेल में गिरी 3 वर्षीय बालिका चेतना को निकालने में तीन बाद भी प्रशासन नाकाम रहा है। बालिका को बोरवेल में गिरे हुए अब तक 78 घंटे बीत चुके हैं। पाइलिंग मशीन से बोरवेल के पैरलल करीब 170 फीट का गड्ढा खोदा जा चुका है। बताया जा रहा है कि अब रैट माइनर्स को पाइप से इस गड्ढे में उतारा जाएगा। इसके बाद वे गड्ढे से बोरवेल तक 20 फीट की सुरंग खोदेंगे। गुरुवार शाम को जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल, एसपी राजन दुष्यंत और एडिशनल एसपी वैभव शर्मा ने सीसीटीवी फुटेज देखकर गहराई का मेजरमेंट किया। इसके बाद रेस्क्यू के लिए रैट माइनर्स को नीचे उतरने की तैयारियां चल रही है। बुधवार सुबह 8 बजे से गड्ढा खोदने का काम शुरू हुआ था। मेजरमेंट सही नहीं होने के कारण 32 घंटे तक खुदाई चलती रही। गुरुवार सुबह करीब 10.40 बजे रैट माइनर्स को सुरंग खोदने के लिए नीचे उतारा जाने वाला था, लेकिन मेजरमेंट में समस्या होने के कारण 6 घंटे में पाइलिंग मशीन को दो बार चलाकर फिर से ड्रिल किया गया। मौके पर कलेक्टर-एसपीसे लेकर एडीएम ओमप्रकाश सहारण, विधायक हंसराज पटेल भी मौके पर डटे हुए हैं। वहीं, सांसद से लेकर सरकार की ओर से मंत्री भी पल-पल की रिपोर्ट ले रहे हैं। मौके पर अनेक विधायकों व पूर्व विधायकों सहित तमाम नेताओं का आना-जाना जारी है।
मां धोली देवी की तबियत बिगड़ी
ज्ञात रहे कि कीरतपुरा गांव की ढ़ाणी बडिय़ाली में लगभग 700 फिट गहरे बोरवेल में गिरी 3 साल की चेतना को बाहर निकालने में प्रशासन को 78 घंटे बाद भी कोई कामयाबी नहीं मिली। एनडीआरएफ तथा एसडीआरएफ के लगातार प्रयासों के बाद उसे 48 घंटे पहले सिर्फ 30 फीट ही ऊपर खींचा जा सका था और अब कैमरे में बालिका का मूवमेंट भी नजर नहीं आ रहा है। मंगलवार को हुक से ऊपर खींचने के देसी जुगाड़ फेल होने के बाद से चेतना 120 फीट पर अटकी है। उसकी वर्तमान स्थिति को लेकर अधिकारी कुछ भी बोलेने की स्थिति में नहीं है। उसे बाहर निकालने की अब तक 4 कोशिशें फेल रही हैं। बच्ची की मां धोली देवी ने तीन दिन से कुछ भी नहीं खाया है। वह बेहोशी की हालत में हैं। गुरुवार को चिकित्सकों ने धोली का इलाज किया और एक चिकित्सीय टीम को भी निगरानी में तैनात किया गया है।
कलेक्टर बोली-टनल बनाकर किया जाएगा रेस्क्यू
मीडिया से बातचीत के दौरान कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने बताया कि पाइलिंग मशीन से लगातार खुदाई की जा रही है। नीचे पत्थर आने से काम में दिक्कतें हुई। इसके बाद नई मशीन से पत्थर को काटने का काम किया गया। खुदाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। एनडीआरएफ की निगरानी में अब मैनुअल हॉरिजॉन्टल टनल बनाकर बच्ची को रेस्क्यू किया जाएगा। हम सभी दुआ कर रहे हैं कि बच्ची सलामत निकले। इससे पहले उन्होंने एनडीआरएफ इंचार्ज योगेश कुमार मीणा से रेस्क्यू प्लान के बारे में बातचीत की। कलेक्टर ने कहा कि एनडीआरएफ की टीम पहले भी ऐसे रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड कर चुकी है।
प्लान बी में क्यों हुई देरी?
चेतना को बोरवेल से निकालने के लिए प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम ने प्लान ए और प्लान बी बनाए थे, लेकिन प्लान बी पर काम शुरु करने में काफी देरी हुई। इसे लेकर चेतना के परिजनों से लेकर ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही के आरोप भी लगाए थे। घटना के वक्त कलेक्टर अवकाश पर थी और वे रात को ही कोटपूतली पहुंची। प्लान बी में देरी के सवाल पर कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने कहा कि पाइलिंग मशीन के लिए काफी तैयारियां करनी पड़ती हैं। ये मशीन काफी बड़ी होती हैं। ये एक बड़े ट्रेलर पर लोड होती हैं। मशीन को यहां तक पहुंचाने के लिए काफी मशक्कतें करनी पड़ी। हमें सडक़ें बनानी पड़ीं। कई बिजली के पोल हटाने पड़े। इस वजह से देरी हुई।
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