KOTPUTLI-BEHROR: बनेठी के मेले में दर्जनों पहलवानों ने दिखाई ताकत

KOTPUTLI-BEHROR: बनेठी के मेले में दर्जनों पहलवानों ने दिखाई ताकत

बराबरी पर छूटी कामड़े की कुश्ती

कोटपूतली-बहरोड़/सच पत्रिका न्यूज
समीप के बनेठी ग्राम में एक शताब्दी से अधिक समय से लगातार हर वर्ष की तरह शनिवार को आयोजित डूडू मेले में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी। कार्यक्रम में अतिथि के रुप में जयपुर ग्रामीण सांसद राव राजेन्द्र सिंह, विधायक हंसराज पटेल, भाजपा नेता शंकरलाल कसाना, भाजपा नेता उदय सिंह तंवर, पूर्व प्रधान विक्रम सिंह तंवर, हीरालाल रावत, धूड़सिंह शेखावत, उप प्रधान प्रतिनिधि राजेन्द्र रहीसा, यादराम जांगल, मंडल अध्यक्ष राजेन्द्र शेखावत, देवी सिंह सरपंच, सरपंच सोनू चौधरी, देवी सिंह, पूर्व तहसीलदार हरिशंकर शर्मा, राजेन्द्र शर्मा, सुरेश सिंह, भीम सिंह आदि मौजूद रहे। वक्ताओं ने युवाओं को कड़ी मेहनत के साथ आगे बढऩे की सीख दी। मेले में दूर-दराज के क्षेत्रों से आए श्रृद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। इस दौरान सामाजिक कार्यों में विशेष योगदान देने वाले भामाशाहों का ग्रामवासियों की ओर से साफा पहनाकर स्वागत किया गया। कामड़े की अंतिम कुश्ती 71 हजार रुपए की थी, जिसके लिए संजय जैलाफ व मोहित पलवल के बीच काफी देर तक जोरआजमाईस होती रही, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका तो मेला कमेटी ने कामड़े की कुश्ती को बराबरी पर छोड़ दोनों पहलवानों को 21-21 हजार रुपए भेंटकर सम्मानित किया। इस दौरान 11 हजार व 21 हजार की एक दर्जन से अधिक कुश्तियां कराई गई। रैफरी की भूमिका बेगसिंह, सुनील सिंह, श्याम सिंह, महेन्द्र सिंह ने निभाई। संचालन विजय पाल सिंह ने किया। मेले में खाने-पीने की बड़ी संख्या में स्टालें लगी हुई थी। बच्चे, युवा व बुजुर्ग तथा महिलाएं मेले के दौरान स्टेडियम स्थित खाटू श्याम और बाबा हरिहरदास महाराज के मंदिर में श्रृद्धापूर्वक मत्था टेक मुरादे मांग रहे थे। कार्यक्रम में डीएसपी राजेन्द्र कुमार बुरडक तथा थानाधिकारी मोहरसिंह समेत सरकारी सेवाओं में चयनित प्रतिभाओं का भी सम्मान किया गया।

यह है डूडू मेले की विशेषता

एक ओर जहां अन्य स्थानों पर लगने वाले मेलों में पुलिस की माकूल व्यवस्था के बावजूद श्रृद्धालुओं की जेबे कटना, बच्चों का गुम हो जाना, लड़ाई-झगड़ा होना आम बात मानी जाती है, लेकिन बिना पुलिस सुरक्षा के तथा ग्रामवासियों के सहयोग से आयोजित होने वाले डूडू मेले में आज तक किसी भी तरह की दुर्घटना अथवा छेड़छाड़ की घटना नहीं होना मेले की विशेषता मानी जाती है। सुरक्षा से लेकर अन्य सभी प्रकार की व्यवस्थाएं ग्रामीण अपने स्तर पर करते हैं।

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