KOTPUTLI-BEHROR: चेतना रेस्क्यू ऑपरेशन: सातवें दिन भी हाथ खाली

KOTPUTLI-BEHROR: चेतना रेस्क्यू ऑपरेशन: सातवें दिन भी हाथ खाली

170 फिट नीचे 30 घंटे से सुरंग खोदने में जुटे एनडीआरएफ के जवान

7 दिन से फंसी है 3 साल की मासूम, उसकी कंडीशन को लेकर अधिकारी चुप

कोटपूतली-बहरोड़/सच पत्रिका न्यूज
समीप के कीरतपुरा गांव में 700 फीट गहरे बोरवेल में फंसी 3 वर्षीय बालिका चेतना को बाहर निकालने के लिए पिछले करीब 30 घंटे से 170 फिट नीचे जाकर एनडीआरएफ के जवान सुरंग खोदने में जुटे हुए हैं। चेतना पिछले सात दिनों से 120 फिट की गहराई में भूखी-प्यासी फंसी हुई है। उसे बाहर निकालने के अब तक सभी कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं। अब पाइलिंग मशीन से खुदाई करने के बाद जवान नीचे सुरंग बनाकर चेतना को बाहर निकालने का प्रयास कर रहे हैं। टीम के कमांडर का दावा है कि जल्द ही चेतना को निकाल लेंगे और टीम काफी नजदीक पहुंच चुकी है। ज्ञात रहे कि कोटपूतली के कीरतपुरा के बडिय़ाली की ढाणी में 3 वर्षीय चेतना 23 दिसंबर को 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरकर 150 फीट पर फंस गई थी। देसी जुगाड़ से उसे रेस्क्यू टीमें केवल 30 फीट ऊपर ला सकी थीं। मासूम करीब 151 घंटे से भूखी-प्यासी है और पांच दिन से कोई मूवमेंट नहीं कर रही है। अधिकारी उसकी कंडीशन को लेकर अब कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। मौके पर कलेक्टर कल्पना अग्रवाल से लेकर एसपी राजन दुष्यंत, विधायक हंसराज पटेल व अन्य अधिकारी मौके पर डटे हुए हैं।

विधायक बोले-ऑपरेशन नियंत्रण में

विधायक हंसराज पटेल ने कहा कि बोरवेल में फंसी बेटी चेतना को बचाने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस और रेस्क्यू टीमों का व्यापक अभियान जारी है। मैं खुद लगातार स्थिति पर नजर टिकाए बैठा हूं। ऑपरेशन को बेहद सावधानीपूर्वक अंजाम दिया जा रहा है, क्योंकि मशीन के वाइब्रेशन से मिट्टी खिसकने का खतरा बना हुआ है। सुरंग बनाने और अन्य सभी कार्यों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। प्रशासन ने बताया है कि रेस्क्यू ऑपरेशन पूरी तरह नियंत्रण में है और बेटी को सुरक्षित बाहर लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। पटेल ने कहा कि सभी की निगाहें और दुआएं इस अभियान पर टिकी हैं। उम्मीद है कि बेटी चेतना जल्द ही सुरक्षित बाहर आएगी।

गुढ़ा ने प्रशासन पर उठाए सवाल

इस घटना की सूचना पर पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने बातचीत में कहा कि बच्ची को बचाने में सभी लगे हुए हैं, लेकिन प्रशासन ने लेट कर दिया। अगर घटना के तुरंत बाद ही ऑपरेशन युद्ध स्तर पर शुरु हो जाता तो इसका रिजल्ट हम ज्यादा बढिय़ा देखते। जो तैयारी पिछले तीन दिन में हुई है, वो 6 दिन पहले होनी चाहिए थी। खुद जिला कलेक्टर को भी यहां पहुंचने में तीन दिन लग गए।

नीचे चट्टान होने से परेशानी बढ़ी

एनडीआरएफ के ऑपरेशन प्रभारी योगेश मीणा ने बताया कि ऑपरेशन को बेहद सावधानीपूर्वक अंजाम दिया जा रहा है। ऑपरेशन के हर चरण की बहुत बारीकी से निगरानी की जा रही है। रेस्क्यू अभियान 144 घंटे से ज्यादा समय से चल रहा है। बोरवेल के समानांतर खोदे गए गड्ढे से चेतना तक पहुंचने के लिए 10 फीट की सुरंग खोदी जा रही है। उन्होंने बताया कि यह खुदाई मैनुअल हो रही है और 170 फिट की गहराई में जाकर जवान चट्टान को ड्रिल करके काट रहे हैं। इधर, टनल की खुदाई कर बाहर निकले एनडीआरएफ के एएसआई महावीर सिंह ने बताया कि हम शिफ्ट वाइज काम कर रहे हैं। लगातार काम चल रहा है। ड्रिल करते कोई थकता है दूसरा साथी उतरता है। पूरी ताकत से जुटे हैं। आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन खोदने का स्पेस कम होता जा रहा है। तेजी से काम करने में रिस्क है। बच्ची के जीवन की सुरक्षा को ध्यान में रखकर हिसाब से काम कर रहे हैं। अंदर जाने के लिए स्पेस कम होने से एक बार में एक ही आदमी खुदाई कर सकता है। मैनुअली खोदने में समय लग रहा है। काम करते हैं तो चुनौतियां भी आती हैं।

नाराजगी पर एसडीएम ने समझाया

7 दिन से बोरवेल में फंसी चेतना की कंडीशन को लेकर अधिकारी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है। बालिका को निकालने में हो रही देरी पर परिजन और ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। हांलाकि, एनडीआरएफ के जवान अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। एसडीएम बृजेश चौधरी ने चेतना के परिजनों से बातचीत की। एनडीआरएफ ने भी रविवार सुबह नीचे से निकल रहे चट्टान के टुकड़ों को भी दिखाया और समझाया कि क्यों देरी हो रही है।

इनका कहना है….

रेस्क्यू ऑपरेशन पूरी तरह से नियंत्रण में है और बच्ची को सुरक्षित बाहर लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। सभी की निगाह इस अभियान पर टिकी हुई हैं।
कल्पना अग्रवाल, जिला कलेक्टर कोटपूतली-बहरोड़।

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