बोरवेल के पैरलल 170 फीट गहरी खुदाई कर एनडीआरएफ 4 दिन से पत्थर काटकर बना रही थी सुरंग, देर रात तक नहीं मिला बोरवेल
लगातार 9 दिनों से बोरवेल में फंसी है 3 वर्षीय मासूम चेतना
कोटपूतली-बहरोड़/सच पत्रिका न्यूज
समीप के कीरतपुरा गांव में 700 फीट गहरे बोरवेल में फंसी 3 वर्षीय बालिका चेतना को बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ और जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयास एक फिर नाकाम हो गए। गलत दिशा में सुरंग की खुदाई हो जाने से टीम बोरवेल तक नहीं पहुंच सकी। ऐसे में लगातार 9वें दिन भी मासूम चेतना बोरवेल में फंसी रही। इधर, लगातार नाकाम होती कोशिशों के चलते परिजनों और ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ गई है। हर व्यक्ति चेतना को लेकर गहरी चिंता में है। कीरतपुरा के बडिय़ाली की ढाणी में 3 वर्षीय चेतना 23 दिसंबर को 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरकर 150 फीट पर फंस गई थी। देसी जुगाड़ से उसे रेस्क्यू टीमें केवल 30 फीट ऊपर ला सकी थीं। मासूम करीब करीब 200 घंटे से भूखी-प्यासी है और सात दिन से उसका कोई मूवमेंट नजर नहीं आ रहा है। अधिकारी उसकी कंडीशन को लेकर अब कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है।
विशेषज्ञ बुलाए, फिर भी गलत दिशा में हो गई सुरंग खुदाई
लगभग 170 फिट गहराई में जो सुरंग खोदी जा रही थी, उसकी दिशा जांचने के अलावा सही खुदाई की पुष्टि के लिए अधिकारियों ने अनेक एक्सपर्ट बुलाए थे, उसके बावजूद सुरंग खुदाई गलत दिशा में हो गई। अधिकारियों ने बताया कि अब तक बोरवेल को ट्रेस नहीं किया जा सका है। हालांकि, कोशिश जारी है और टीमों ने हिम्मत नहीं हारी है। बीते चार दिन से 6 जवानों की टीम 10 फिट की सुरंग खोदने का काम कर रही है। अब तक अधिकारियों का कहना था कि अंदर ऑक्सीजन लेवल कम होने और पत्थरों के कारण परेशानी आ रही है, लेकिन गलत दिशा में खुदाई की खबर ने फिर से रेस्क्यू प्लानिंग पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोमवार रात्रि को अधिकारियों ने चेतना को जल्द ही बाहर निकाल लेने का दावा भी किया था। इस उम्मीद में परिवार दिनभर बोरवेल के पास ही इंतजार करता रहा, लेकिन अब एक बार फिर सारी उम्मीदें और तैयारियां धराशायी हो गई।
दिशा जांच के लिए जीपीआर मशीन मंगवाई
बोरवेल डिस्लोकेट होने के बाद अधिकारियों की एक बार फिर सांसे फूल गई हैं। अभी तक रेस्क्यू टीम चेतना तक नहीं पहुंच पाई है। बोरवेल की सही दिशा का पता लगाने के लिए मंगलवार शाम को जीपीआर मशीन मंगवाई गई। एक्सपर्ट टीम की ओर से जीपीआर मशीन को टनल में ले जाया गया। बताया जाता है कि इस मशीन से सही दिशा का अनुमान लगाया जाता है। इंजीनियर्स ने जीपीआर मशीन से स्कैन कर बताया कि बोरवेल और खोदी गई सुरंग के एलाइनमेंट में दो फिट का फर्क है। इसके बाद एनडीआरएफ की टीम ने बताए गए प्वाईंट पर पुन: खुदाई शुरु कर दी है। अब संभावना जताई जा रही है कि बुधवार सुबह तक खुदाई का कार्य पूरा हो सकता है।
लेटकर ड्रिलिंग, जवान परेशान
170 फिट नीचे जाकर खुदाई करना आसान नहीं है। एनडीआरएफ के जवानों को सुरंग में लेटकर पत्थरों को ड्रिल करना पड़ रहा है। अंदर डस्ट उडऩे की वजह से टीम को सांस लेने में परेशानी आ रही है। जवान महावीर ने बताया कि सुरंग में जगह की कमी के कारण काम में काफी परेशानी आ रही है। अंदर धूल घूमती रहती है और नुकीले पत्थरों पर लेटकर काम करना पड़ रहा है। हल्की सी मूवमेंट पर भी पत्थर चुभते हैं और धूल के कारण सांस लेने में दिक्कतें हो रही हैं। यह एक चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन जवान लगातार मेहनत कर रहे हैं। इधर, कोहरे और ठंड के कारण भी सभी अधिकारियों-कर्मचारियों की परेशानी बढ़ गई है। ओस की बारिश से टेंट पर पानी भर जा रहा है।
पूर्व विधायक ने सीएम को लिखा पत्र
पूर्व विधायक सुभाषचंद शर्मा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर बालिका को शीघ्र बाहर निकाले जाने की मांग की है। शर्मा ने पत्र में लिखा है कि 8 दिन बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा बालिका को बोरवेल से बाहर नहीं निकाला गया है। पूरे देश में क्या कोई ऐसा सिस्टम या कोई इंजीनियरिंग अभी तक भी उपलब्ध नहीं हो सकी है, जिससे बालिका को बाहर निकाला जा सके। जिला प्रशासन द्वारा जो भी संसाधन अब तक जुटाए गए हैं, उन्हें टुकड़ों में मंगवाया गया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में लापरवाही बरती गई।
इनका कहना है….
अभी हमने हिम्मत नहीं हारी है। हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन को क्रॉस चेक करने के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ टीमों को बुला लिया गया है। बोरवेल को अभी तक ट्रेस नहीं किया गया है, लेकिन सुरंग के डायमीटर को और चौड़ा करके बोरवेल को लोकेट करने की कोशिश में सुरंग खुदाई का काम पुन: शुरु कर दिया गया है।
कल्पना अग्रवाल, जिला कलेक्टर कोटपूतली-बहरोड़।