चेतना रेस्क्यू ऑपरेशन: बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें
कलेक्टर बोली- ये राजस्थान का सबसे मुश्किल ऑपरेशन
127 घंटे से बोरवेल में फंसी है मासूम बालिका
कोटपूतली-बहरोड़/सच पत्रिका न्यूज
बीते 23 दिसंबर को दोपहर लगभग 2 बजे बोरवेल में गिरी 3 वर्षीय मासूम बालिका चेतना को बाहर निकालने में एक बार फिर रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी ला दी गई है। पाइलिंग मशीन से बोरवेल के पैरलल करीब 170 फीट गहरी खुदाई करने के बाद अब उसके नीचे एक्सपर्ट कर्मचारियों को भेजकर सुरंग खुदाई शुरु कर दी गई है। मौके पर विधायक हंसराज पटेल समेत कलेक्टर कल्पना अग्रवाल और एसपी राजन दुष्यंत भारी लवाजमें और हर तरह के जरुरी संसाधनों के साथ डटे हुए हैं। वहीं, रात्रि को एक बार फिर जयपुर ग्रामीण सांसद राव राजेन्द्र सिंह ने मौके पर पहुंचकर कलेक्टर के साथ परिजनों से बातचीत करते हुए उन्हें मजबूत बने रहने के लिए प्रेरित किया और चेतना की सलामती की कामना की। इधर, रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीम को भारी ठंड और बारिश के चलते भारी मुश्किलें भी उठानी पड़ रही हैं। बोरवेल में फंसी चेतना को निकालने के लिए एनडीआरएफ के जवान 170 फीट गहराई में उतरकर सुरंग की खुदाई में जुटे हुए हैं। यहां से वे 10 फीट की सुरंग खोद रहे हैं। उनकी सुरक्षा के लिए ऑक्सीजन की भी व्यवस्था की गई है। उनकी मोनेटरिंग भी की जा रही है और बाहर मौजूद दूसरे मेंबर्स वॉकी-टॉकी के जरिए उनसे लगातार संपर्क में है। एनडीआरएफ ने नए प्लान के लिए 6 जवानों को तैयार किया है। वे दो-दो के बैच में नीचे जाकर खुदाई करेंगे। जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने दावा किया है कि ये राजस्थान का सबसे मुश्किल ऑपरेशन है। चेतना की मां धोली देवी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। वह बार-बार हाथ जोडक़र बच्ची को बाहर निकालने की गुहार लगा रही है।
चार दिन से कोई मूवमेंट नहीं कर रही चेतना
कोटपूतली के कीरतपुरा के बडिय़ाली की ढाणी में 3 वर्षीय चेतना 23 दिसंबर को 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरकर 150 फीट पर फंस गई थी। देसी जुगाड़ से उसे रेस्क्यू टीमें केवल 30 फीट ऊपर ला सकी थीं। मासूम करीब 127 घंटे से भूखी-प्यासी है और चार दिन से कोई मूवमेंट नहीं कर रही है। अधिकारी उसकी कंडीशन को लेकर अब कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है।
कलेक्टर ने दी ऑपरेशन की जानकारी
जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने मीडिया से हुई बातचीत में बताया कि बोरवेल के पास समानांतर गड्ढा खोदकर एल आकार की सुरंग के जरिए चेतना तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। गड्ढे में उतरे 2 एनडीआरएफ जवान मैनुअल ड्रिल कर रहे हैं। हम उन्हें कैमरे पर देख रहे हैं। वे नीचे से जिन उपकरणों की डिमांड कर रहे हैं वे उन्हें भेजे जा रहे हैं। जहां ड्रिल किया जा रहा है वहां पर्याप्त ऑक्सीजन है। कलेक्टर ने बताया कि नीचे की परत हार्ड है। कितनी देर लगेगी, कहा नहीं जा सकता। हमारे पास रेस्क्यू के लिए पर्याप्त और एक्सपर्ट लोग हैं। जैसे ही ये लोग थकेंगे, दूसरे दो जवानों की टीम को उतारा जाएगा। नीचे कैसी परिस्थितियां हैं वो किसी को पता नहीं होता, मौसम भी खराब है। यह राजस्थान का अब तक का सबसे मुश्किल ऑपरेशन है।
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