JAIPUR: जल संचय जन भागीदारी विषय पर संवाद कार्यक्रम

JAIPUR: जल संचय जन भागीदारी विषय पर संवाद कार्यक्रम

बिना जल के कल संभव नहीं -जल संचय के लिए प्रवासी राजस्थानियों की भूमिका सराहनीय – केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री

राजस्थान बनेगा हरा-भरा, समृद्ध और आत्मनिर्भर -जल संचय हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी

जल आत्मनिर्भरता प्रदेश की समृद्धि और भावी पीढ़ियों के लिए अहम – मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा

जयपुर/सच पत्रिका न्यूज

केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अनूठी संकल्पना ‘कैच द रेन’ को आगे बढ़ाते हुए कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान की शुरूआत की गई है। जल संचय का यह अभियान जन भागीदारी से जन आंदोलन बन रहा है और इसके अंतर्गत राजस्थान में प्रवासियों द्वारा जल संचय की संरचनाओं का निर्माण करवाया जा रहा है। पाटिल बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर जल संचय जन भागीदारी विषय पर संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत में विश्वभर की 18 प्रतिशत आबादी के साथ केवल 4 प्रतिशत पानी की उपलब्धता है। वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार बिना जल के कल संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि वृहद् परियोजनाओं के साथ छोटे स्तर पर भी वर्षा जल संग्रहण करना आवश्यक है ताकि हर गांव का पानी गांव में, हर खेत का पानी खेत में और हर घर का वर्षा जल घर में ही जमीन में उतर सके।

उन्होंने कहा कि कृषि कार्यों एवं औद्योगिक गतिविधियों के लिए पानी की महती आवश्यकता होती है। राजस्थान के लोगों से अधिक पानी के महत्व को कोई नहीं समझ सकता है। उन्होंने जन भागीदारी जल संचय अभियान में राज्य सरकार के प्रयासों एवं प्रवासी राजस्थानियों के द्वारा निभाई जा रही भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार प्रदेश के जिला एवं ब्लॉक्स को डार्क जोन मुक्त बनाने की दिशा में कार्य करेगी।

अभियान से भविष्य के लिए जल सुरक्षा होगी सुनिश्चित- मुख्यमंत्री

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान के माध्यम से हम राजस्थान को जल उपलब्धता में संपन्न बनाकर इसे एक हरा-भरा, समृद्ध और आत्मनिर्भर राज्य बनाएंगे। इस अभियान के माध्यम से हमारे भविष्य के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि जल संचय हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। नदियां, तालाब और जलस्रोत हमारी विरासत हैं और यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें बचाने और संरक्षित करें। उन्होंने कहा कि यह अभियान राजस्थान की समृद्धि और आने वाले पीढ़ियों के भविष्य के लिए अहम है। मुख्यमंत्री ने जल संचय में जन भागीदारी की पहल में सभी से भागीदार बनने तथा इस अभियान में पूरी शक्ति और समर्पण के साथ जुड़ने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने सामाजिक सरोकारों की कड़ी को आगे बढ़ाकर कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान किया शुरू 

मुख्यमंत्री ने कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2014 के बाद देश में गरीब कल्याण से लेकर विकास कार्यों में अभूतपूर्व परिवर्तन आए हैं। प्रधानमंत्री ने सामाजिक सरोकारों की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए जल संरक्षण की दिशा में कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान शुरू किया है। इस अभियान में प्रवासी राजस्थानियों द्वारा अपनी मातृभूमि के लिए जिम्मेदारी निभाते हुए जल संचय के कार्यों में उत्साह के साथ भागीदारी निभा रहे हैं। इस अभियान में राजस्थान में 45 हजार रैन वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर वर्ष 2027-28 तक बनाए जाने हैं, जो वर्षा का पानी संग्रहित कर भूमिगत पानी के स्तर को बढ़ाएंगे।

जल की एक-एक बूंद को बचाकर उसे संग्रहित कर पुनर्भरण करना आवश्यक

मुख्यमंत्री ने कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने ‘जन्मभूमि से कर्मभूमि जलसंचय जनभागीदारी जनआंदोलन’ कार्यक्रम की शुरूआत की थी। अब यह अभियान पूरे देश में जल संचयन की दिशा में जनभागीदारी का प्रेरणास्रोत बन चुका है। उन्होंने कहा कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य वर्षाजल का संचय कर भूजल स्तर की गिरावट को रोकना तथा जल की एक-एक बूंद को बचाकर उसे संग्रहित कर पुनर्भरण करना है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के व्यवसायी और समाजसेवी इस अभियान से जुड़ने के लिए आगे आ रहे हैं और अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

जल आत्मनिर्भरता के लिए समर्पित होकर कार्य कर रही राज्य सरकार 

शर्मा ने कहा कि गत एक वर्ष में हमारी सरकार ने प्रदेश में जल उपलब्धता के सुधारों के लिए समर्पित होकर कार्य किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री के सहयोग एवं मार्गदर्शन से राजस्थान को ईआरसीपी-पीकेसी की सौगात मिली है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का एक साल पूर्ण होने पर प्रधानमंत्री की उपस्थिति में केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश के साथ मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एमओए) पर हस्ताक्षर हुए। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से पूर्वी राजस्थान में रहने वाले लगभग सवा तीन करोड़ लोगों को सुलभ पेयजल की उपलब्धता मिलेगी। साथ ही, लगभग ढाई लाख हेक्टेयर नए क्षेत्र में सिंचाई तथा लगभग डेढ़ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हेतु अतिरिक्त पानी की व्यवस्था हो सकेगी। प्रदेश में लगने वाले उद्योगों को भी आवश्यकता के अनुरूप पानी मिल सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से शेखावाटी क्षेत्र में यमुना का पानी लाने के लिए यमुना जल समझौता किया गया।

इस अवसर पर उपस्थित प्रवासी राजस्थानियों, भामाशाहों, उद्योगपतियों ने प्रदेश में जल संचय संरचनाओं के निर्माण का संकल्प लिया तथा 1189 वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर के निर्माण की घोषणा की। इस दौरान जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू-जल मंत्री कन्हैया लाल, जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत, संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल, राज्यसभा सांसद  चुन्नीलाल गरासिया, अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन अभय कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव पीएचईडी एवं भू-जल भास्कर ए. सावंत सहित प्रवासी राजस्थानी, भामाशाह एवं उद्योगपति उपस्थित रहे।

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