KOTPUTLI-BEHROR: कोटपूतली बना कचरे का ढेर, भडक़े पार्षद

KOTPUTLI-BEHROR: कोटपूतली बना कचरे का ढेर, भडक़े पार्षद

नगर परिषद की लापरवाही से जनता बेहाल

कोटपूतली-बहरोड़/सच पत्रिका न्यूज
स्वच्छता की दृष्टि में कोटपूतली शहर की तस्वीर इन दिनों बिल्कुल उलट हो चुकी है। नगर परिषद की लापरवाही और ठेकेदार की उदासीनता ने पूरे शहर को कचरे का मैदान बना दिया है। शहर के चौराहे, मुख्य सडक़ें, गलियां और मोहल्ले गंदगी से पटे पड़े हैं। बारिश के चलते गीले कचरे से उठती बदबू और बीमारी फैलने का खतरा, आमजन के लिए अब असहनीय हो चला है।

40 वार्डों में बदहाली का आलम

शहर के कुल 40 वार्डों को 8 सफाई जोनों में बांटा गया है, साथ ही बानसूर रोड, जयपुर-दिल्ली हाईवे सर्विस लाइन और पूतली रोड दो अतिरिक्त जोनों में शामिल हैं। इन तमाम जोनों की जिम्मेदारी हरियाणा की एक निजी कंपनी को दी गई है, जिससे नगर परिषद ने करोड़ों रुपए के टेंडर के जरिए सफाई का ठेका लिया है। लेकिन विडंबना यह है कि पहले जहां प्रति माह 14.15 लाख रुपये में सफाई होती थी, अब खर्च बढक़र कई गुना हो गया, फिर भी शहर गंदगी में डूबा है।

पार्षदों का फूटा गुस्सा

शहर के करीब एक दर्जन पार्षदों ने नगर परिषद कार्यालय पहुंचकर सभापति प्रतिनिधि एडवोकेट दुर्गाप्रसाद सैनी को ज्ञापन सौंपा और सफाई व्यवस्था को तुरंत सुधारने की मांग रखी। पार्षदों ने बताया कि न सिर्फ आम गलियों में, बल्कि उनके अपने घरों के सामने भी कचरे के ढेर लगे हैं। सीवर लाइन का कार्य अधूरा है, सडक़ें टूटी हुई हैं, गड्ढों में पानी जमा है और नालियां गंदगी से जाम हैं।

वेतन नहीं, काम नहीं

शहर में घर-घर कचरा संग्रहण का कार्य पिछले लम्बे समय से ठप पड़ा है, क्योंकि सफाई कर्मचारी 4.5 महीनों से वेतन न मिलने के चलते काम पर नहीं आ रहे हैं। जब पार्षदों ने इस बारे में सफाई ठेकेदारों से बात की, तो उन्हें यही जवाब मिला कि पैसे नहीं, तो सफाई नहीं।

जनता त्रस्त, प्रशासन मौन

शहरवासियों की नाराजगी लगातार बढ़ रही है। संक्रमण फैलने का खतरा मंडरा रहा है। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए यह गंदगी जानलेवा साबित हो सकती है। इसके बावजूद नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ आश्वासन देने में व्यस्त हैं। कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। कोटपूतली की जनता को एक साफ.-सुथरा और स्वच्छ शहर चाहिए, लेकिन वर्तमान हालात देखकर यही लगता है कि नगर परिषद प्रशासन स्वयं गंदगी के सामने लाचार और मौन है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो जनता का सब्र टूट सकता है और यह मुद्दा जनआंदोलन का रुप ले सकता है।

क्या है पार्षदों की मांग

पार्षदों की मांग है कि घर-घर कचरा संग्रहण व्यवस्था तुरंत बहाल हो, सफाई कर्मचारियों को वेतन का तत्काल भुगतान किया जाए, सीवर लाइन कार्य शीघ्र पूर्ण किया जाए, जहां कार्य पूरा हो चुका वहां सडकें तुरंत बनाई जाएं और ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई की जाए।

 

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