कोटपूतली-बहरोड़/सच पत्रिका न्यूज
भारत को खाद्य तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल-तिलहन योजना का शुभारंभ जिला स्तर पर कर दिया गया है। सोमवार को जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु जिला तिलहन मिशन और क्रियान्वयन समिति की बैठक आयोजित हुई। इस योजना के तहत जिले में सरसों की फसल को प्राथमिकता के साथ शामिल किया गया है। योजना का उद्देश्य तिलहनी फसलों को बढ़ावा देना, खाद्य तेल के आयात पर निर्भरता घटाना और किसानों की आय में वृद्धि करना है।
5500 हैक्टेयर क्षेत्र को शामिल करने का लक्ष्य
वर्ष 2025-26 के लिए जिले को 5500 हैक्टेयर में तिलहनी फसलों के तहत कार्य करने का लक्ष्य मिला है। यह कार्य क्लस्टर आधारित प्रणाली से किया जाएगा, जिसमें हर क्लस्टर कम से कम 500 हैक्टेयर का होगा। योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी वैल्यू चैन पार्टनर वीसीपी को सौंपी गई है, जो एफपीओ के माध्यम से किसानों के चयन से लेकर बीज वितरण, मिट्टी परीक्षण और प्रोसेसिंग तक की जिम्मेदारी निभाएंगे।
एफपीओ और सहकारी संस्थाओं को मिलेगा आर्थिक सहयोग
तिलहनी फसलों की प्रोसेसिंग के लिए पोस्ट हार्वेस्ट इंफ्रास्टक्चर की स्थापना हेतु एफपीओ, सहकारी संस्थाओं, सार्वजनिक एवं निजी संस्थानों को 10 टन क्षमता की मशीन की लागत का 33 फीसदी अथवा अधिकतम 9.90 लाख रुपये तक की सहायता राशि दी जाएगी।
किसानों को मिलेगा तकनीकी मार्गदर्शन और प्रोत्साहन
संयुक्त निदेशक कृषि महेन्द्र जैन ने बताया कि किसानों को नवीन तकनीकों, उन्नत बीज, शीघ्र पकने वाली किस्मों व उत्पादन बढ़ाने के उपायों के प्रति जागरुक किया जाएगा। क्लस्टर और ब्लॉक स्तर पर प्रदर्शन किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, डिजिटल तकनीक के प्रयोग से योजना के क्रियान्वयन को गति दी जाएगी।
15 मई तक करें आवेदन
एफपीओ और सहकारी संस्थाएं इस योजना का हिस्सा बनने के लिए 15 मई तक आवेदन कर सकती हैं। योजना से जुडक़र किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं और देश को खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में भागीदार बन सकते हैं। बैठक में एसीईओ महेन्द्र सैनी, कृषि, सिंचाई, सहकारिता विभाग के अधिकारी और अन्य विभागीय प्रतिनिधि मौजूद रहे।
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