21 माह से न्याय की आस में भटक रहा परिवार
कोटपूतली-बहरोड़/सच पत्रिका न्यूज
जयपुर के मणिपाल हॉस्पिटल में इलाज के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही के चलते एक महिला मरीज को लकवा मार गया। जांच रिपोर्ट में लापरवाही की पुष्टि होने के बावजूद अब तक किसी भी डॉक्टर या अस्पताल प्रशासन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। 21 महीने बीत चुके हैं, लेकिन पीडि़त महिला और उसका परिवार अब भी न्याय के इंतजार में दर-दर भटक रहा है। कोटपूतली के खेडक़ी वीरभान ग्राम निवासी बबीता देवी को 23 मई 2023 को पेट दर्द की शिकायत के बाद जयपुर के मणिपाल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। पथरी के इलाज के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही के कारण ऑक्सीजन सप्लाई बाधित हो गई, जिससे मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी हो गई और बबीता लकवाग्रस्त हो गई। बबीता के पति सेवानिवृत्त हवलदार सुरेश कुमार जाट ने बताया कि उन्होंने इस मामले की शिकायत विद्याधर नगर पुलिस थाना व चिकित्सा विभाग में की थी। इसके बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक डा.रविप्रकाश माथुर ने कोटपूतली-बहरोड़ सीएमएचओ डा.आशीष सिंह शेखावत को जांच करने के आदेश दिए थे।
साबित हुई लापरवाही, फिर भी कार्रवाई नहीं!
सीएमएचओ के आदेश के बाद कोटपूतली जिला अस्पताल के पीएमओ डा.चैतन्य रावत और वरिष्ठ विशेषज्ञ डा.एसपी मौर्य की कमेटी ने इस मामले की विस्तृत जांच की। सभी संबंधित लोगों के बयान दर्ज किए गए, जिसमें साफ तौर पर पाया गया कि ईआरसीपी प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन सप्लाई बाधित हो गई थी, जिससे बबीता के मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिल पाई और उसे लकवा हो गया। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन के ऊंचे रसूखात के चलते मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि डॉक्टरों की लापरवाही साबित होने के बावजूद पुलिस और प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अस्पताल प्रशासन और जिम्मेदार डॉक्टरों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। यहां तक कि पुलिस ने अभी तक मुकदमा तक दर्ज नहीं किया, जिससे परिवार न्याय की उम्मीद में लगातार अधिकारियों के चक्कर काट रहा है।
सिर से साया छिनने की कगार पर
बबीता देवी के 15 साल की बेटी और 13 साल के बेटे को अब भी उम्मीद है कि उनकी मां को न्याय मिलेगा और उनका दर्द समझा जाएगा। पति ने बताया कि इस मामले को लेकर वह हमेशा तनाव में रहता है। बच्चों को संभालने वाला कोई नहीं है। इसके चलते उनकी पढ़ाई भी छुड़वा दी है। परिजनों का कहना है कि अगर समय रहते डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं हुई तो भविष्य में अन्य मरीजों की जान भी खतरे में पड़ सकती है। परिवार की मांग है कि डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, ताकि आगे किसी और मरीज के साथ ऐसी लापरवाही न हो। सवाल यह उठता है कि जब जांच रिपोर्ट में लापरवाही साबित हो चुकी है तो फिर कार्रवाई में देरी क्यों हो रही है? क्या बबीता और उसके परिवार को इंसाफ मिल पाएगा या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?।
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