कोटपूतली-बहरोड़/सच पत्रिका न्यूज
दिव्यांगजनों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने सभी राजकीय दस्तावेजों, पत्राचार और संचार में संशोधित और मर्यादित शब्दावली के प्रयोग का परिपत्र जारी किया है। इसके तहत अब अपमानजनक या असंवेदनशील शब्दों की जगह सम्मानजनक और सकारात्मक शब्दों का उपयोग अनिवार्य किया गया है। इस निर्णय का उद्देश्य भाषा में संवेदनशीलता लाना है, ताकि दिव्यांगजन केवल सहायता के पात्र नहीं, बल्कि सम्मान के अधिकारी बन सकें। यह कदम न सिर्फ सरकारी व्यवहार में परिवर्तन लाएगा, बल्कि समाज को भी विचारों और अभिव्यक्ति में और अधिक समावेशी बनाएगा।
शब्दावली में ये होंगे बदलाव
परिपत्र के अनुसार, विकलांग और विकलांगता के स्थान पर अब दिव्यांगजन, दिव्यांगता और दिव्यांग, नि:शक्त के स्थान पर विशेष योग्यजन या दिव्यांगजन, मानसिक विमंदित के स्थान पर बौद्धिक दिव्यांगता, गूंगा और बहरा के स्थान पर श्रवणबाधित कहा जाएगा। सरकार ने निर्देश दिए हैं कि सभी विभाग, अधिकारी और कर्मचारी संशोधित शब्दावली का पालन करें और आने वाले सभी दस्तावेजों में इनका प्रयोग सुनिश्चित करें।
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