कोटपूतली-बहरोड़/सच पत्रिका न्यूज
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर द्वारा परीक्षा शुल्क में लगातार वृद्धि की जा रही है, लेकिन परीक्षकों को दिए जाने वाले मानदेय में बीते 13 वर्षों से कोई बदलाव नहीं हुआ है। इस दोहरे मापदंड को लेकर शिक्षकों में भारी रोष व्याप्त है। वर्ष 2012 में जहां बोर्ड परीक्षा का शुल्क 450 रुपये था, वह अब बढक़र 600 रुपये तक पहुंच गया है। इसके विपरीत, दसवीं की उत्तरपुस्तिका जांचने पर आज भी मात्र 14 रुपये और बारहवीं की कॉपी पर 15 रुपये का ही भुगतान किया जा रहा है।
बढ़ते काम, घटता उत्साह
परीक्षा केंद्रों पर शिक्षकों को वीक्षक की भूमिका के साथ-साथ उत्तर पुस्तिकाओं की जांच, अंक फीडिंग, और प्रायोगिक परीक्षाओं की प्रविष्टि जैसे कई जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं। बावजूद इसके, ना मानदेय में वृद्धि हुई है और ना ही समय पर भुगतान सुनिश्चित हो रहा है। शिक्षकों का कहना है कि महंगाई के इस दौर में इतनी कम राशि पर काम करना निराशाजनक है और कई शिक्षक अब मूल्यांकन कार्य से दूरी बना रहे हैं।
पुराने भुगतान भी अटके
सत्र 2023-24 की उत्तरपुस्तिकाओं के लिए अभी तक परीक्षकों को मानदेय नहीं मिला है, जबकि नए सत्र की कॉपियों की जांच शुरु हो चुकी है। यही स्थिति प्रायोगिक परीक्षाओं के परीक्षकों की है, जिनका भुगतान भी अब तक लंबित है। निरीक्षण कार्य के लिए डीईओ को 2000 एकमुश्त, उडऩदस्ता संयोजक को 525 रुपए प्रतिदिन तथा उडऩदस्ता सदस्य के 425 रुपए प्रतिदिन का मानदेय निर्धारित है।
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