गोयल के समर्थन में सैंकड़ों कार्यकर्ता दे चुके हैं भाजपा से इस्तीफा
टिकट पर पुनर्विचार की मांग को लेकर जयपुर में कर चुके हैं बड़ा प्रदर्शन
भाजपा ने हंसराज पटेल को घोषित किया है अपना प्रत्याशी
कोटपूतली-बहरोड़/सच पत्रिका न्यूज
विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा द्वारा जारी उम्मीदवारों की पहली सूची के बाद से ही जगह-जगह उठ रहे विरोध के स्वर दूसरी सूची आने के साथ और तेज हो गए हैं। इसी बीच कोटपूतली विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के समक्ष एक बड़ी मुश्किल आ खड़ी हो गई है। भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार रहे मुकेश गोयल ने कोटपूतली विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लडऩे का एलान कर दिया है। कोटपूतली में भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही गोयल के बड़ी संख्या में समर्थक कार्यकर्ताओं में आक्रोश व्याप्त है। समर्थकों ने कोटपूतली में प्रत्याशी बदलने की मांग को लेकर सभा भी आयोजित की थी। इसके बाद जयपुर जाकर भाजपा मुख्यालय पर न केवल बड़ा विरोध-प्रदर्शन किया था, बल्कि सैंकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने पद व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा तक दे दिया था। इसके बावजूद जब कोई असर नहीं हुआ तो अब मुकेश गोयल ने निर्दलीय चुनाव लडऩे का एलान कर दिया है। इसके लिए सभी समाजों के लोगों की एक कमेटी बनाई गई थी, जिसने गांवों में भ्रमण कर जनता का रुख देखकर यह निर्णय लिया।
यह संग्राम घनघोर है, कुछ मैं लडूं कुछ तुम लड़ो
सोमवार को गोयल ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाई और उसमें चुनाव लडऩे का एलान करते हुए कहा कि यह मेरा नहीं, बल्कि कोटपूतली की जनता का निर्णय है। गोयल ने एक कवि की पंक्ति ‘यह संग्राम घनघोर है, कुछ मैं लडूं-कुछ तुम लड़ो’ को दोहराते हुए कहा कि यह कोटपूतली के हित की लड़ाई है। इसमें हम सभी को सामूहिक प्रयास करना होगा। पत्रकारों से बातचीत के दौरान गोयल ने खुल कहा कि चाहे मुझे कोई बागी कहे या फिर कुछ और। कोटपूतली मेरा परिवार है और अब परिवार जो कहेगा, मैं वही करुंगा। भाजपा ने यदि किसी कार्यकर्ता को टिकट दिया होता तो मैं उसका पूरा साथ देता, लेकिन पार्टी ने एक ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया है, जिसने पार्टी के झंडे-बैनर फूंके और पार्टी के नेताओं को अपमानित किया। जातीय आधार पर टिकट देना ही था तो ऐसे बहुत से कार्यकर्ता टिकट पाने के हकदार थे। उन्होंने पुन: निर्दलीय चुनाव लडऩे की बात दोहराते हुए दावा किया कि उन्हें हर वर्ग का पूरा समर्थन है। इससे पहले कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें निर्णय के बाद चुनाव प्रचार के तैयारियों की रुपरेखा तय कर जिम्मेदारियां सौंपी गई।
भाजपा-कांग्रेस के समीकरण पर पड़ेगा असर
गोयल ने वर्ष 2018 में पहली बार भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था। उनका सामना कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र सिंह यादव से हुआ। गोयल ने 43 हजार 238 मत प्राप्त किए थे और कांग्रेस प्रत्याशी से 13 हजार 876 मतों से अंतर से पराजय झेलनी पड़ी। उसके बावजूद वे पूरे 5 वर्ष तक क्षेत्र में एक्टिव रहे। उन्होंने इस बार भी भाजपा से टिकट की प्रबल दावेदारी की थी, किन्तु भाजपा ने जातीय समीकरण साधने की मंशा से गुर्जर समाज के हंसराज पटेल को टिकट दे दिया, जबकि कांग्रेस ने पुन: राजेन्द्र सिंह यादव पर दांव खेलते हुए अपना प्रत्याशी घोषित किया है। अब टिकट नहीं मिलने से नाराज मुकेश गोयल द्वारा निर्दलीय चुनाव लडऩे का एलान कर दिए जाने से न केवल भाजपा, बल्कि कांग्रेस प्रत्याशी का समीकरण भी बिगडऩे के आसार प्रबल हो जायेंगे। राजनीतिक जानकारों की मानें तो गोयल के चुनाव लडऩे से दोनों ही दलीय प्रत्याशियों के समक्ष नई चुनौती होगी।
कोटपूतली में होगा रोचक मुकाबला
अबकी बार कोटपूतली विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है। भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के साथ ही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के प्रदेश महामंत्री रामस्वरुप कसाना भी चुनाव लडऩे का एलान कर चुके हैं। इधर, सोमवार को मुकेश गोयल ने निर्दलीय की हैसियत से चुनाव मैदान में ताल ठोक दी है। ऐसे में इस बार चतुष्कोणीय मुकाबले के आसार बनते जा रहे हैं। हांलाकि, अभी और भी कई प्रत्याशी मैदान में कूद सकते हैं। जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के प्रदेश महासचिव रामनिवास यादव भी अपनी पूरी तैयारी कर रहे हैं। उनके समर्थन में दो बड़ी सभाएं हो चुकी हैं। हाल ही में हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने रोड शो भी किया था। इसके अलावा कुछ और प्रत्याशी चुनाव मैदान में आ सकते हैं।
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