राजस्थान जीव जंतु कल्याण बोर्ड अध्यक्ष ने जीव जंतुओं के हित में कार्य करने की अपील की
जयपुर/सच पत्रिका न्यूज
राजस्थान जीव जंतु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष जसवंत सिंह विश्नोई ने कहा है कि पशु- पक्षी हमारी धरा का अभिन्न अंग हैं। ये हमारे पर्यावरण और संस्कृति का हिस्सा हैं। किसी न किसी रूप में ये हमारे पर्यावरण और प्रकृति का संतुलन बनाए रखते हैं। हमें इन समस्त जीव जंतुओं के संरक्षण के साथ- साथ संवर्द्धन भी करना है। विश्नोई ने शुक्रवार को जयपुर में जीव जंतु कल्याण बोर्ड कार्यालय में बोर्ड द्वारा प्रकाशित फोल्डर का विमोचन करने के बाद कहा कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 14 जनवरी से 30 जनवरी तक पशु कल्याण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। विश्नोई ने कहा कि आज के इस मशीनी युग और अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धात्मक जीवन शैली के कारण पर्यावरण का बहुत अधिक विनाश हो चुका है। इसके कारण मानव तथा जीव जंतुओं के स्वास्थ्य, व्यवहार एवं जैविक क्रियाओं पर खतरनाक तरीके से प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे पशु कल्याण पखवाड़े के दौरान निराश्रित पशुओं को चारा- पानी आश्रय की व्यवस्था तथा रोगी और घायल पशुओं की चिकित्सा की व्यवस्था करें। उन्होंने पशु कल्याण पखवाड़े के अतिरिक्त सामान्य दिनों में भी जीव- जंतुओं के हित में कार्य करने की अपील की।
विश्नोई ने कहा कि जीव -जंतुओं के प्रति सहज रूप से दया भाव रखें, उनके प्रति न तो क्रूरता करें और न ही होने दें। अगर किसी भी प्रकार की पशु क्रूरता या प्रताड़ना दिखाई दे तो उसे रोकें और साक्ष्यों के साथ स्थानीय प्रशासन, पुलिस या नजदीकी पशु कल्याण संगठन को सूचित करें। उन्होंने कहा कि पशु चाहे पालतू हो अथवा निराश्रित, सभी को देखभाल और मदद की आवश्यकता होती है। ये मूक प्राणी हमारी करूणा और देखभाल के हकदार हैं। उनका संरक्षण और कल्याण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। इस अवसर पर पशुपालन निदेशक डॉक्टर आनंद सेजरा ने कहा कि पतंगोत्सव हमारी संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन खुशी के इस माहौल में नन्हें परिदों की जान को सुरक्षित रखने की जिम्मेेदारी भी हमारी है। पतंग के धागे खासकर चाइनीज मांझा और तेज धार वाले धागे पक्षियों के लिए गंभीर खतरा और जानलेवा साबित होते हैं। हर साल लाखों पक्षी इन घातक मांझों से घायल होते हैं या अपनी जान गंवा देते हैं। उन्होंने कहा कि चाइनीज मांझे की बिक्री, संग्रहण और उपयोग प्रतिबंधित है। इसलिए इनका उपयोग न करें और न अपने आसपास होने दें। डॉ सेजरा ने बताया कि पशु कल्याण पखवाड़े के दौरान राज्य भर में पशु कल्याण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न स्तरों पर विविध प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
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